नये श्रम कानूनों का 10 संगठनों ने शुरू किया विरोध, 26 को देशव्यापी प्रदर्शन



नई दिल्ली. सरकार ने नया श्रम कानून लागू कर दिया है और इसमें कई बड़े सुधार भी किए हैं. शुरुआत में इसे पूरी तरह कर्मचारियों के हित में बताया जा रहा था, लेकिन अब कई कर्मचारी संगठनों ने इसकी खामियों पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं. नए लेबर कोड के खिलाफ 10 ऐसे संगठन हैं, जो इसे कर्मचारियों के हित में नहीं मान रहे और कंपनियों के लिए ज्यादा फायदे की बात बता रहे हैं. यह सभी संगठन मिलकर 26 नवंबर यानी बुधवार को विरोध प्रदर्शन भी करेंगे.



हिंद मजदूर सभा के महासचिव हरभजन सिंह का कहना है कि नया श्रम कानून कर्मचारियों के हितों की पूरी तरह से रक्षा करने में सक्षम नहीं है. उन्होंने कहा कि इंडस्ट्रियल रिलेशन कोर्ड, 2020 के कुछ प्रावधान और वर्किंग कंडीशन कोड, 2020 के ऑक्यूपेशनल सेफ्टी जैसे प्रावधान कर्मचारियों के हित में नहीं है. इसमें सुधार के लिए दोबारा अपील और ड्राफ्टिंग भी होनी चाहिए.

इसलिए विरोध जता रहे संगठन

हरभजन सिंह का कहना है कि नए लेबर कोड में कारखानों को बंद करने, हड़ताल के अधिकार और छोटे उद्यमों के लिए अनुपालन बोझ को कम करने से जुड़े प्रावधान सीधे तौर पर श्रमिकों के जीवन और उनकी सामाजिक सुरक्षा पर असर डालते हैं. उन्होंने कहा कि हमने इस बारे में सरकार को बताया था, लेकिन हमारी चिंताओं को नजरअंदाज करते हुए एकतरफा तरीके से कानून लागू कर दिया गया है. हिंद मजदूर सभा उन 10 ट्रेड यूनियन में शामिल है, जिन्होंने अपने सदस्यों से 26 नवंबर को श्रम कानून के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल होने का आह्वान किया है. उन्होंने कहा कि बढ़ती बेरोजगारी के बीच इस तरह का कोड लागू होना कर्मचारियों के खिलाफ पूरी तरह खिलाफ है.

कई संगठनों ने किया है समर्थन

हिंद मजदूर सभा सहित 10 कर्मचारी यूनियन ने भले ही नए लेबर कोड का विरोध किया है, लेकिन कई अन्य संगठनों ने इस कानून का समर्थन भी किया है. इन संगठनों का कहना है कि नया लेबर कोड ऐतिहासिक और प्रगतिशील कदम है. उनका कहना है कि नया कानून पुराने औपनिवेशिक काल के श्रम कानूनों की जगह एक एग्रीगेट, मॉडर्न, पारदर्शी और लेबर सेंट्रिक व्यवस्था को लागू करने वाला है. इससे पहले 14 ट्रेड यूनियन ने एक संयुक्त बयान भी जारी किया था. इसकी अगुवाई करने वाले भारतीय मजदूर संघ ने 22 नवंबर को इन सुधारों को गरिमापूर्ण श्रम शासन, सामाजिक सुरक्षा और आधुनिक श्रम व्यवस्था का ऐतिहासिक बताया था.

किस बात पर हो रहा लेबर कोड का विरोध

एक कर्मचारी संगठन के सदस्य ने कहा कि इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड के तहत अब 300 से अधिक कर्मचारियों वाली फैक्ट्रियों को बंद करने या कर्मचारियों को निकालने के लिए सरकार से पूर्व अनुमति लेनी होगी. पहले यह सीमा 100 थी. कई फैक्ट्रियां हैं, जिनमें 300 से कम कर्मचारी हैं. उन्हें निकालने के लिए अब सरकार की अनुमति की जरूरत नहीं होगी. जाहिर है कि यह प्रावधान कर्मचारियों और श्रमिकों के हित में बिलकुल नहीं है.

पहले लेनी पड़ती थी अनुमति

कर्मचारी संगठन ने कहा कि इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड, 2020 के तहत पहले 100 से ज्यादा कर्मचारियों वाली कंपनियों को बंद करने या छंटनी के लिए सरकार से अनुमति लेनी पड़ती थी. अब 1 से 299 कर्मचारियों वाली कंपनियों पर ताला लगाने के लिए कोई अनुमति नहीं लेनी होगी. यह कंपनियां अपने कर्मचारियों की संख्या में बदलाव करने के लिए भी पूरी तरह स्वतंत्र होंगी.

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